लेखिनी वार्षिक लेखन प्रतियोगिता# मकान नं 517
बात तेरह नंबर पर आती है तो मै आप लोगों से अपनी कुछ यादें सांझा करना चाहतीं हूँ ।बात उन दिनों की है।जब मेरी शादी हुई थी।मै दुल्हन बन कर जिस मकान मे आयी थी उस मकान का नंबर 517था मुझे थोडा बहुत अंक ज्ञान है।जैसे मै मकान के नम्बर को जोड़ कर पता लगा लेती हूँ कि यह शुभ रहेगा या अशुभ ।मेरी ससुराल के मकान का नंबर 517 का जोड़ 13 बैठता है।जैसे ही मै देहली पर आयी मेरी सास आरती करने आयी तो मेरी नजर मकान के नम्बर पर पडी।मैने फटाफट जब जोड़ निकाला तो मन मे एक उलझन हुई कि13 जोड़ बैठता है।यह मकान अशुभ है।कयोंकि मैने सुना था की होटल के कमरों मे भी तेरह नंबर का कमरा नही बनाते।बस मन मे एक घबराहट सी थी।पता नही मेरा गृहस्थ जीवन कैसा होगा।थोडे दिनों बाद मेहमान सारे चले गये।नन्द देवर दोनों बाहर पढते थे।सास टीचर थी।पति का बिजनैस था।हाऊसिंग बोर्ड के मकान थे।शादी के चौथे दिन सब अपने-अपने कामों पर चलें गये।सास स्कूल ।पति अपने आफिस ।नन्द देवर दोनों पढने।अब मै और मेरा डर जो शादी के बाद मकान नंबर देख कर बैठ गया था।पति आफिस जाते समय कह कर गये ,"देखों अन्दर से दरवाजे की कुंडी लगा कर रहना।मै अन्दर से तो डर से कांप रही थी ऊपर से बहादुर बनकर बोली,"आप जाईये।मै आराम से कर लूँ गी सब"।पर डर खायें जा रहा था।मैने फटाफट घर का काम निपटा कर थोड़ी देर आराम करने के लिए लेटी तो मेरी आंख लग गयी।मुझे क्या दिखा जैसे मेरे पैरो के पास कोई औरत बैठी है।और अचानक से उसने मेरी जांघ पर काट लिया और हुंकार कर बोली ,"ज्यादा खुश मत हो ।तुझे साथ लेकर जाऊँगी ।"मै एकदम से हडबडा कर उठी।पसीने से तरबतर।मुझे अभी भी याद है मेरे काफी समय तक हाथ पांव कांप रहे थे।इतने मे मेरी सास स्कूल से आ गयी।मैने जब मेरी सास को ये बात बताई तो उन्होंने मेरा मजाक बनाया,"हाँ !उसे पता था कि फंला घर मे फंला की नयी बहू आयी है उसे लेकर जाऊँगी ।"मै भी चुप हो गयी।और अपने आप को कोसने लगी कि मै भी कितनी मूर्ख हूँ ।थोड़े दिनों बाद मुझे ऐसे लगने लगा जैसे मै चलती हूँ तो मेरे पीछे कोई चल रहा है।कई बार मै बहुत डर जाती थी।घर का माहौल भी सही नही रहता था।रिश्तो में तनातनी चलती थी।इतने मे मै प्रेगनेंट हो गयी।प्रेगनेंसी मे भी कमपलीकेशन हो गये थे।आखिरकार मेरी तबियत इतनी खराब हो गयी कि बच्चा पेट मे ही मर गया।मुझे पता ही नही चला।तीन दिन बाद डाकटर को दिखाया तो पता चला बच्चा तो मरा हुआ है।जहर फैलने लगा था।मुझे आजतक पता नही चला मै किस के कारण बची।नही तो मौत के मुँह तक गया बन्दा वापस कैसे आ गया।शायद हमारे पूर्वजों का प्रताप था जो बची।मेरे दोनों बच्चो के होने मे मै मौत के मुँह से वापस आयी।शादी के दस साल मै उस मकान मे रही ।मैने कभी सुख की सांस नही ली।पता नही क्या था उस मकान मे बाद मे पता चला उस मकान मे कोई जवान औरत मरी थी।आज भी मै 517 याद करती हूँ तो मेरी रूह कांप जाती है।
#हारर स्टोरी#डरना जरूरी है
Mohammed urooj khan
10-Mar-2022 11:38 PM
अच्छी कहानी लिखी आपने
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Monika garg
11-Mar-2022 09:33 AM
धन्यवाद
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Astha Singhal
10-Mar-2022 04:01 PM
बहुत बढ़िया कहानी 👍
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Monika garg
10-Mar-2022 04:04 PM
धन्यवाद
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Gunjan Kamal
09-Mar-2022 02:34 PM
👏👏👌🙏🏻
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Monika garg
09-Mar-2022 05:25 PM
धन्यवाद
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